Description
अभिधर्मकोश – आचार्य असंग के छोटे भाई आचार्य वसुबंधु ने अपने जीवन के प्रथम भाग में सर्वास्तिवाद सिद्धांत के अनुसार कारिकाबद्ध अभिधर्मकोश ग्रंथ की रचना की. यह इतना प्रसिद्ध और लोकप्रिय हुआ कि कवि बाण ने लिखा है कि तोते-मैने भी अभिधर्मकोश के श्लोकों का उच्चारण करते थे. अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए आचार्य ने यथास्थान अन्य दर्शनों की समीक्षा भी की है. ग्रंथ पर आचार्य ने स्वयं एक विस्तृत भाष्य (अभिधर्मकोशभाष्य) की भी रचना की, जिसपर कई टीकाएँ लिखी गई. प्रसिद्ध यात्री विद्वान् हुएन्सांग ने चीनी भाषा में इसका अनुवाद किया था जो आज भी प्राप्त है. अभिधर्मकोश में आठ कोशस्थान या अध्याय हैं और लगभग 600 श्लोक हैं. आठ अध्यायों के नाम ये हैं- धातुनिर्देश, इन्द्रियनिर्देश, लोकनिर्देश, कर्मनिर्देश, अनुशयनिर्देश, मार्गपुद्गलनिर्देश, ज्ञाननिर्देश, समापत्तिनिर्देश… स्रोत
किताब का नाम – अभिधर्मकोश बौद्ध दर्शन सार
लेखक – ताराराम
कुल पृष्ठ – 300
भाषा – हिंदी
कुल वजन – 325 ग्राम
किताब की साइज – | लंबाई- 22 | चौड़ाई- 14 | ऊंचाई- 2
प्रकाशन – बुद्धम पब्लिशर्स
Book Name – Abhidharmakosa Baudh Darshan Sar
Writer – Tararam
Total Pages – 300
Language – Hindi
Binding – Paperback
Total Weight – 325gm
Book Dimensions – L×B×H | 22×14×2
Publisher – Buddham Publishers
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